रविवार, 20 सितंबर 2009
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यह ब्लॉग ऐसे लोगों का अड्डा है जो ज्ञान निर्माण से जुड़े सवालों को भाषा से जोड़ कर देखते हैं. इस मंच की शुरूआती मंशा यह है कि समाज विज्ञानों की स्थिति को हिंदी क्षेत्र और इसकी भाषाओं के सन्दर्भ में देखा जाए. यह सोच-विचार रोजमर्रा की जिंदगी के तजुर्बों से लेकर ज्ञान-मीमांसा के बारीक सवालों तक जायेगा. कोशिश रहेगी कि बात सीखने-सिखाने के अनुभवों की साझीदारी से शुरू हो. आइए समय और समाज को समझने से जुडे अपने-अपने तजुर्बों पर खुलकर बात करें. आपकी टिप्पणियों और सहयोग - सहकार का इंतजार रहेगा.
बहुत बढिया आपके ब्लाग का उद्देश्य को बनाये रखे हम जैसे बहुत से लोगों के लिये सीखने का मौका मिलेगा
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत में स्वागत हैं आपका.........आपको हमारी शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसतत लेखन के लिए बधाई। मेरे ब्लोग पर पधारें आपका स्वागत है।
बहुत अच्छी शुरुआत !बधाई !
जवाब देंहटाएंसहयोग यथासम्भव मिलता रहेगा !
अभी कुछ जल्बाजी है, ज्यादा तो नहीं लिख पऊंगा. ब्लॉग बहुत अच्चा बन रहा है, जरूरी भी!. आप बधाई के पात्र हैं. शिक्षा में देसी भाषाओँ की अनिवार्यता या आवश्यकता को दो परिप्रेक्ष्यों में देखने की जरूरत मुझे महसूस होती है. प्रतिनिधि हिंदी भाषी क्षेत्रों में मुझे जो लगता है, अंग्रेजी बनाम हिंदी, और हिंदी बनाम देशी भाषा (कुमाउनी या कोई और) दो अलग मसले हैं. इन्हें देखा समझा जाना चाहिए. बहरहाल आपको बधाई और धन्यवाद्...... रोहित जोशी गंगोलीहाट, पिथोरागढ़
जवाब देंहटाएंकोशिश आपकी परवान चढ़े !!
जवाब देंहटाएंवैसे ब्लॉग माध्यम में आपकी उपस्थिति से नए क्षेत्रों में इसका विस्तार ही माना जाना चाहिए !!
राजनीति की घचर - पचर और साहित्य की ढोलक की थाप से परे आपकी ब्लॉग उपस्थति पर मन मुदित हुआ!!